विजयदशमी की कविताओं का संकलन
 

 

मंगलमय नव रात्रियाँ (दोहे)

मंगलमय नव रात्रियाँ, नौ दुर्गा के रूप
पूजन आस्थापूर्ण हो, दर्शन पाँय अनूप

सब देवों की शक्ति से, हुई सुसज्जित मात
महाशक्ति के पुंज से, असुरों पर संघात

शक्ति पूज कर राम ने, किया दनुज संहार
सेतु बद्ध सागर हुआ, सेना पहुँची पार

संतों के उपकार को, लिया मनुज अवतार
मर्यादा हित राम ने, दिए सभी सुख वार

अपने सुन्दर राज की,  रख दी ऐसी नींव
युगों-युगों के बाद भी, चाहत वही सजीव

- ज्योतिर्मयी पंत


 

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