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        दशहरे की धूम है

 
फिर देखिए शहर में दशहरे की धूम है
चौपाल, चौक, घर में दशहरे की धूम है

जरिया किसी के वास्ते है रोजगार का
जो आपकी नजर में दशहरे की धूम है

है बन्दगी की धूम सुबह-शाम जो अगर
जलसा-ए-रातभर में दशहरे की धूम है

महँगाई-मुफ़लिसी है हक़ीकत ज़मीन की
अखबार की खबर में दशहरे की धूम है

विरला ही राम है कहीं रावण है हर जगह
कुछ भी रहे बशर में, दशहरे की धूम है

हर रात कोई जंग सी भीतर लड़ा करूँ
हर रोज़ फिर सहर में, दशहरे की धूम है

जब दूसरों की जीत से दिल शाद हों 'अमित'
उस जीत की डगर में, दशहरे की धूम है

-अमित खरे
१ अक्टूबर २०२१

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