| 
  
  
	
		| 
	
		| 
        
          
            |  |         
			शक्ति हरे दुख पाश |  
            |  | 
          
            
              | काम क्रोध मद लोभ औ, मत्सर मोह 
					विनाश दस इंद्रिय जो जीत ले,शक्ति हरे दुख पाश
 
 रक्तबीज सी लालसा,दमन करे मन शक्ति
 सभी दुखों का मूल है,भौतिकता आसक्ति
 
 जीवन यात्रा कठिन है, मिलें राह अवरोध
 अनुपालन आदर्श का, कटते सभी विरोध
 
 मात पिता का मान रख, मन में सेवा भाव
 जग हित माने लक्ष्य जो, रामभक्ति सद्भाव
 
 घर में मां ,पत्नी बहन, पाएं नित सम्मान
 कन्या पालन स्नेह से, दुर्गा दें वरदान
 
 देवों के आह्वान पर, हुआ शक्ति संचार
 स्त्री रूप अवतरित हो, किया असुर संहार
 
 शक्ति रूप हैं नारियां, माने अब संसार
 पुरुषों को जो जन्म दे, महिमा अपरम्पार
 
 वात्सल्य और स्नेह की, धारा सतत प्रवाह
 मातृ शक्ति ममतामयी, संतति हित निर्वाह
 
 राम सरिस आदर्श हों, जीवन के उद्देश्य
 परहित शक्ति प्रयोग से, सार्थक जीवन प्रेक्ष्य
 
 हर रिश्ते का मान हो, भेदभाव से दूर
 सुख दुख सब साझे सहें, खुशियां हों भरपूर
 
 - ज्योतिर्मयी पंत
 १ अक्टूबर २०२१
 |  |  |  |  |