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        सच्चाई की जीत

 
भरता जब घट पाप का, असुरों का संसार
तब-तब करते राम प्रभु, रावण का संहार

भातृप्रेम का दे गये, भरत, लखन संदेश
राम सिया के साथ में, वैरागी धर वेश

त्यागो माया मोह मद, छोड़ो अत्याचार
अहंकार में जल गया, रावण का घर बार

इंद्रजीत की शक्ति औ, रावण का अभिमान
"पुष्प" धरा पर रह गया, जप-तप सारा ज्ञान

निश्चित होगी एक दिन, सच्चाई की जीत
कर्म विभीषण सा करो, होगी कृपा पुनीत

वर्षों से पुतला दहन, करता अपना देश
मरा नहीं है आज भी, घूम रहा लंकेश

रक्तबीज है दैत्य कुल, उपजे बारंबार
"पुष्प" सत्य की जीत को, पीड़ा ले अवतार

अवगुण अंतस के मिटें, बढ़े जगत में प्रीत
विजयादशमी पर्व पर, होती सच की जीत

राम लखन सीता सहित, पवनपुत्र हनुमान
रामायण के पात्र ये, "पुष्प" दे रहे ज्ञान

विजयादशमी पर्व से, सीख मिली बस एक
जीवन में ऐ! पुष्प तुम, काम करो कुछ नेक

- पुष्प लता शर्मा
१ अक्टूबर २०२१

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