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        घोष विजय का गूँजे

 
घोष विजय का गूँजे नभ में, सबके मुख पर हो मुस्कान
अंतर्मन हो खूब प्रफुल्लित, गाएँ मिल-
सब गौरव गान

नवरात्रि की शुभ वेला में,एक नया संकल्प लिए
बढ़े जा रहे आगे हर क्षण, कर में सुन्दर पुष्प लिए
जीवन के सब कलुष मिटाने, अविरल-
होता हो अभियान

एक नया उत्साह भरा हो, आँखों में हो नयी चमक
बन जाए पहचान हमारी, आहट में हो नयी खनक
भेदभाव से ऊपर उठकर, सबको-
मिलता हो सम्मान

जीवन के संघर्षों में हम, स्नेह भावना लिए बढ़ें
साथ सभी को गले लगाकर, नित्य नए के सोपान चढ़ें
रामराज्य की लक्ष्य पूर्ति हित, क्षमताओं-
का हो संधान

मानवता के हर दुश्मन को, आओ सबक सिखाएँ हम
अपने मन को भी निर्मल कर, साथ सभी को लाएँ हम
आज समय की उठा पटक में, प्रभु राम-
सी हो पहचान

- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१ अक्टूबर २०२१

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