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सर्द सुबह (दोहे)

सर्द सुबह

सूरज के दर्शन नहीं, हुई सुबह से शाम
धूप राह भूली कहीं, कुहरे का कुहराम

सांध्य-प्रिया के अंक में, रवि करता विश्राम
उषा-काल नव दिवस को, देता नव आयाम

पावन किरणें भोर की, दे आशिष उपहार
शुद्ध सुगन्धित पुष्प से, मन में झरें विचार

कुहरे में मध्यम हुआ, सूरज का भी दंभ
तिल गुड़ और अलाव से, सर्दी का आरम्भ

भोर नवेली है खड़ी, लिए मधुर मुस्कान
शुभ्र बदन पर डाल कर, नारंगी परिधान

अंतस में सूरज उगे, भीतर करे उजास
मन का सारा तम हरे, भरे आस विश्वास

शरमाया सूरज उगा, लगे चाँद सा रूप
चली धुंध को ओढ़ कर, सोन परी सी धूप

संध्या-रवि संयोग से, जग पाता विश्राम
रजनी सो जाती सुबह, जगता सूर्य ललाम

- संध्या सिंह
१ दिसंबर २०१९

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