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बैठ धूप में

सर्द सुबह

बैठ धूप में
हरी मटर की घुँघनी खाना
जाडे का आनन्द यही है
रस गन्ने का
ताजा ताजा पीना
कोल्हाडो में जाना
इन उन बातों से मन बहलाना
बनने का भाव न मन में आने देना
आवाजाही का ताँता
रस का कडाह में पकना
झोंका झाना गुलौर का
आलू लेकर मन चाही संख्या में
पकने के लिए पहुँचना
छौंका किसी कमानी या पतली लकडी में
डाला फिर कडाह में
कही सुनी सानन्द कहानी
सीत बसन्त 'संख राजा' की
मन में माला नए नए स्वप्नों की
सुधि जानी अनजानी
ठाँव ठाँव का जीवन है कुछ नया अनोखा
कहीं सरल विश्वास है कहीं केवल धोखा

- त्रिलोचन
१ दिसंबर २०१९

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