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अभिव्यक्ति  

१५. ६. २००९

अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्रामगौरवग्रंथ दोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतरनवगीत की पाठशाला

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आँखों में तिरता है गाँव

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आँखों में
तिरता है गाँव
सपनों में दिखता है गाँव

अलस्सुबह
ही खाट छोड़ना
आलस की जंजीर तोड़ना
दुहना गैया भैस बकरिया
हार खेत से तार जोड़ना
हल कंधों पर,
चलते पाँव
हर खेत में दिखता गाँव

त्योहारों
के रंग अनूठे
भेदभाव के दावे झूठे
दुःख में चीन भीत बन जाता
सुख के राग फाग शुचि मीठे
वारी पर
देता है दाँव
महा रास बन खिलता गाँव

अम्मा
बापू दादा दादी
बसता उनमें काबा काशी
शहरी आवोहवा न पचती
लगता कूड़ा-करकट बासी
गड़ी नाल
वो रुचता ठाँव
बातों में बतियाता गाँव

- डॉ. जयजयराम आनंद

इस सप्ताह

गीतों में-
डॉ. जयजयराम आनंद

अंजुमन में-
अमर ज्योति नदीम

छंदमुक्त में-
हरि जोशी

हाइकु में-
राम निवास मानव

पुनर्पाठ में-
अशोक वाजपेयी

अनुभूति का १३ जुलाई का अंक कदंब विशेषांक होगा। इस विशेष अवसर के लिए कदंब के फूल या पेड़ से संबंधित गीत, गज़ल, दोहा, हाइकु, क्षणिका,  मुक्तक और छंदमुक्त रचनाएँ आमंत्रित है। रचना भेजने की अंतिम तिथि जुलाई २००९ है।

पिछले सप्ताह
८ जून २००९ के अंक में

गीतों में-
कमलेश कुमार दीवान

अंजुमन में-
हस्तीमल हस्ती

क्षणिकाओं में-
अंशुमान अवस्थी

दोहों में-
आनंद कृष्ण

पुनर्पाठ में-
अक्षय कुमार

अन्य पुराने अंक

नवगीत की पाठशाला- में कार्यशाला-२ का विषय है गर्मी के दिन, सभी का स्वागत है।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी
 
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