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इन्द्रपाल सिंह 'तन्हा'
की गज़लें

 

 

  इस शहर के आदमी को

इस शहर के आदमी को क्या हुआ
है खबर कल फिर कोई बलवा हुआ

इस सियासत का भला क्या कीजिये
ये सियासत ना हुुई मसला हुआ

इस जगह से ज़िन्दग़ी को देखिये
आइना है एक ये चटका हुआ

दोस्ती रिश्ते मुहब्बत अब कहां
बंद है इसका चलन अरसा हुआ

इस अभागे दिल का अब हम क्या करें
गैर मुमकिन शै पे ये मचला हुआ

क्या सुनाएँ इस ज़माने को कलाम
शख्स यां हर एक है बहरा हुआ

वक्त दौरां में ग़ज़ल तन्हा तेरी
अश्क ज्यों पलकों पे एक ठहरा हुआ

शहर में कैसी हवा

शहर में कैसी हवा है इन दिनों
हर बशर सहमा हुआ है इन दिनों

दूसरों पर कौन अब लाये यकीं
डर तुम्हीं से लग रहा है इन दिनों

जिन्स और बाज़ार के चर्चे हैं गर्म
हां सभी कुछ बिक रहा है इन दिनों

क्या पता कैसा हो आने वाला कल
हर कोई घर भर रहा है इन दिनों

मुल्क और समाज की किसको पड़ी
काम उनका चल रहा है इन दिनों

कहते हैं वो छोड़ो अख़लाको ज़मीर
इनसे अब मिलता ही क्या है इन दिनों
 

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