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यू एस ए से डॉ. अमिता तिवारी की क्षणिकाएँ

 

  युद्ध के विरुद्ध हूँ मैं                                    
 
(एक)
युद्ध  में न हारा देश हारता है
युद्ध  में न जीता  देश जीतता है
युद्ध  तो केवल शहीदों के         
घरवालों पर बीतता है
 
(दो)
जिन जिन पर युद्ध बीत गया
हरा भरा घर रीत गया
क्या फ़रक पड़ता अब उनको
कौन देश अब हार गया
कौन देश अब जीत गया

(तीन)
सीमा पर युद्ध न हारे जाते हैं
न सीमा के लिए जीते जाते हैं
 राजधानी में जो घोषणाएँ चीखते  हैं
वो तो केवल
शहीदों की चिताओं पर लगने वाले मेलों में जाते हैं


(चार)
कोई युद्ध अचानक सीमा पर पैदा नहीं हो जाता
उसके पीछे एक पूरा तंत्र होता है
 हर किसी को कुछ न कुछ मिल जाता  है
बस शहीदों के साथ ही षडयंत्र होता है । 

1 दिसंबर 2007

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