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 बरसानेलाल चतुर्वेदी
के दोहे

 

  पैरोडयावली

गुलमोहन ऐसी करी, दुस्मन हू न कराय
तस्करहू अब जेल में, हँस हँस कै बतिराय

वोटर नेता सौं कहै, झांसौं मत दे मोइ
चुनाव के दिन आन दे, मैं देखूँगो तोड़

नेता ऐसो चाहिये जैसो सूप सुभाय
चंदा सबरो घर धरै देइ रसीद उड़ाय

अफसर करै न अफसरी, फाइल करती तर्क़
दास मलूका कहि गये सबकुछ रखता क्लर्क

करत करत तस्करी के, भयो जीवन बरबाद
छापा जब घर में परयो, पापा आए याद

 

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