| 
मंजु मिश्रा 
 
जन्म- २८ जून १९६६ को लखनऊ, उत्तर प्रदेश मेंशिक्षा- हिंदी साहित्य में एम.ए.
 
 कार्यक्षेत्र-
 लेखन एवं प्रबंधन। लगभग दो दशकों से भी अधिक समय से लेखन में सक्रिय। २००१ से 
कैलिफ़ोर्निया में रहते हुए हिंदी प्रसार कार्यक्रम के अंतर्गत बे एरिया 
कैलिफ़ोर्निया के एलीमेंट्री स्कूलों में हिंदी शिक्षण कार्यक्रम का सफल संचालन : 
स्टारटॉक हिंदी प्रशिक्षक कार्यक्रम एन.वाई.यू. से सम्बद्ध।
 
 प्रकाशित कृतियाँ-
 कविता संग्रह- 'जिंदगी यों तो' के अतिरिक्त देश विदेश की हिंदी की मुद्रित एवं 
अंतर्जाल की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। हिंदी अकादमी द्वारा 
प्रकाशित "देशान्तर" प्रवासी कवियों के संकलन में सहभागिता।
 
 पुरस्कार व सम्मान-
 अखिल भारतीय मंचीय कवि पीठ, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी कविता 
समारोह - २०१४ में विश्व हिंदी सेवा सम्मान से सम्मानित
 
 संप्रति-
 कैलिफ़ोर्निया स्थित "विश्व हिंदी ज्योति" संस्था की अध्यक्षा एवं सह संस्थापिका के 
रूप में लगातार हिंदी की सेवा में संलग्न। हिंदी ब्लॉग जगत में सक्रिय भागीदारी 
अभिव्यक्ति शीर्षक से एक ब्लाग
अभिव्यक्ति पर 
नियमित लेखन।
 
 ईमेल- manjumishra@gmail.com
 |  | जप तप चाहे जो करो 
जप तप चाहे जो करो, सब कुछ है बेकार गर तेरे मन में नहीं, दया धरम औ' प्यार ।१।
 
 दुनिया भर की दौलतें, रख ले लाख करीब
 रिश्तों से यदि दूर है, तुझसा कौन गरीब ।२।
 
 रक्खी मुट्ठी बाँधके, फिर भी खाली हाथ
 रिश्ते पोसे ही नहीं, क्या जाएगा साथ ।३।
 
 तेल भरा हो नेह का, बाती हो विश्वास
 फिर देखो ये जिंदगी, देगी हर्ष-हुलास ।४।
 
 अपना अपना मत करो, बाँटो सबके साथ
 फिर देखो कैसे बढ़ें, खुशियाँ हाथों-हाथ ।५।
 १ जुलाई २०१६ |