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 भैया जी बनारसी


  कुरसी

देखने में ज़रा सी कुरसी है
मगर यह कयामत कहर सी है

ज़रा तिरछी हुयी नज़र सी है
फिरी तो तेग सी तवर सी है

बनती सरकार है बिगड़ती है
रंग गिरगिट सा यह बदलती है

नशा कुर्सी में बहुत होता है
इस पर जो बैठता है सोता है

भैया कुर्सी में बड़ी पावर है
नयी दिल्ली का यही टावर है

फिरी सरकार की नज़र सी है
नीचे भैया जी ऊपर कुर्सी है
 

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