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 नवनीत मिश्रा

जन्म- २१ मई १९८४ को कानपुर भारत में।
शिक्षा- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान त्रिचुरापल्ली में उत्पादन अभियंत्रिकी के तृतीय वर्ष के छात्र।
ई मेल :
navneet_misra@rediffmail.com 


 

 

नेता और कठपुतलियाँ

आइए,
आपको हम राजनीति के गलियारों में ले जाते हैं,
आपको नेता और कठपुतलियों की कहानी सुनाते हैं।
आज हमारे नेताओं के पास
आदमकद कठपुतलियाँ होती हैं
जो नेताओं की राजनीति का भार
अपने कंधों पर ढोती हैं।
ये कठपुतलियाँ नेताओं की हर बात मानती हैं
यहाँ तक कि उनके इशारों पर नाचतीं हैं।
चुनाव के समय कमज़ोर कठपुतलियों को धमकाती है,
इस तरह नेताओं को ये चुनाव जितवाती हैं।
नेता आश्वासन के लड्डू से
छोटी कठपुतलियों को खुश रखते हैं
और इनकी मूर्खता पर मन ही मन हंसते हैं।
कुछ समय तक सब यों ही चलता रहा,
और नेता रूपी साँप देश को डसता रहा।
पर धीरे–धीरे कठपुतलियों को ठगे जाने का ज्ञान हो गया
और इन लालची एवं भ्रष्ट नेताओं की
कठपुतली नीति का भार हो गया।
कुछ कठपुतलियाँ स्वयं सोचने लगीं
और तो और कुछ मनुष्यों की तरह बोलने लगीं।
सब कठपुतलियों ने मिलकर निश्चय किया–
'इन नेताओं को हम उखाड़ फेंकेंगे
शासन सत्ता की बागड़ोर अपने हाथों में ले लेंगे।'
नेताओं को कठपुतलियों की योजना पता चली
तो उनकी टोली में मच गई खलबली।
नेताओं ने उनसे कहा–
'हमारे खिलाफ़ आप लोग विरोध पर उतरे हैं
लगता है विरोधियों ने आप लोगों के कान भरे हैं।
अब से तुम लोग जो कहोगे हम वही करेंगे
आप लोगों की सारी माँगें पूरी करेंगे।
कठपुतले बोले–
'तुम लोग धन एवं एैश्वर्य के झूले में झूल गए
कुर्सी पर बैठते ही हम कठपुतलियों को भूल गए।
अब तक हमने विश्वास किया
अब हम न और करेंगे,
कुर्सी से उतारकर ही दम भरेंगे।'
नेताओं ने सोचा– मामला बढ़ चुका है
हद से ज़्यादा बिगड़ चुका है
सो वो कठपुतलियों को धमकाते हुए बोले–
'तुम लोगों की लगता है मति मारी गई है
या फिर तुम सबके जीवन की अंतिम घड़ी आई है।
हमसे टकराकर तुम लोग बहुत पछताओगे,
बात हमारी मान लो वापस लौट जाओ
वरना बेमौत मारे जाओगे।
अरे! तुम तो कठपुतली हो हाथ पैर नोच देंगे
एक–एक हड्डी को बुरी तरह तोड़ देंगे।
कठपुतलियाँ बोलीं–
'अरे मूर्खों! तुम हमको धमकाते हों,
वो ताकत हमारी थी जिस पर तुम लोग इतराते हो।
हमसे टकराने की तुम लोग भूल न करना
क्योंकि हम कठपुतलियाँ एक बार पहले भी जागीं थीं,
उखड़ गए थे पांव अंग्रेज़ी फौजों के, वो भी डर कर भागीं थीं।
अंगे्रज़ी को भगाया था अब तुम्हें भगाएँगे
हम देश में एक बार फिर से नयी क्रांति लाएँगे।'
कठपुतलियों की बात सुन मंत्री नेता काँप गए,
इरादे उनके ख़तरनाक हैं इसको वह भांप गए।
उसके मन में एक नया विचार आया
और उन्होंने कठपुतलियों के नेता को बुलाया।
उससे बोले–
'क्यों बेकार की बात करते हो
हमसे बेवजह क्यों झगड़ते हो?
तुमको तो हम हीरे जवाहरात जड़े वस्त्र पहनाएँगे
तुम्हारे लिए इंपोर्टेड सोने चाँदी का शो केस बनवाएँगे।
आपको कोई कष्ट नहीं होने पाएगा,
आपके शो केस में एसी लगाया जाएगा।
आपको अपनी पार्टी की ओर से चुनाव लड़वाएँगे
हम तो आपको मंत्री बनाएँगे।'
उस कद के बड़े और ईमान के छोटे
कठपुतले को नेताओं की बात जम गई,
और आने से पहले ही देश में क्रांति की आँधी थम गई।

१६ अप्रैल २००६

 

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