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डॉ. रमा शुक्ला


 

  हास्य कवियों से

हास्य कवियों ने हमेशा पत्नी की,
खिल्ली उड़ाई है और, प्रेयसी ऊँची उठाई है।

प्रेयसी की आँखों से छलकाई है हाला,
पत्नी की आँखों में भड़काई है ज्वाला।

प्रेयसी की चाल गजगामिनी सी बताई है,
पत्नी में उन्हें मोटी भैंस नज़र आई है।

आज कवि मंच से एक पत्नी ने ललकारा है,
कवि मित्रों को आवाज़ देकर पुकारा है,

हो सके तो बोल कर बतला दें ,
न हो तो हाव भाव से जतला दें,

खुद न कह सकें, किसी और से कहला दें,
कि कितनी बार उनकी पत्नी ने उन्हें
बेलन या डंडे से मारा है ।
 

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