अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

शिवकुमार दीपक

जन्म- १० अगस्त १९७५ को बहरदोई (सहपऊ) में।

कार्यक्षेत्र- गद्य एवं पद्य की विविध विधाओं में सृजन
दोहा विधा को समर्पित पत्रिका ‘दोहा दर्पण' का सम्पादन।

 

पार उतारे नाव (कुंडलिया)


सागर नदियों से सदा, पार उतारे नाव
भवसागर से तारता, परहित सेवा भाव
परहित सेवा भाव, धर्म का काम निराला
बनता शील स्वभाव, मिले यश, ओज, उजाला
‘दीपक' करले प्रेम, मिलेंगे नटवर नागर
जग के केवट श्याम, उतारेंगे भव सागर


जाति धर्म से भिन्न सब, भाषा, भेष अनेक
मानवता की परिधि में, सारी दुनिया एक
सारी दुनिया एक, एक है सबकी हाला
पीते देखे संत, प्रेम का भर भर प्याला
खुश रहता भगवान, हमेशा प्रेम कर्म से
सबसे करिये प्रेम, न केवल जाति धर्म से


जागें पहले भोर में, झुका धरा को शीष
सभी बड़ों को कर नमन, लें उनसे आशीष
लें उनसे आशीष, टहलकर दातुन कीजै
नित मल खूब नहाइ, भजन कर भोजन लीजै
कह ‘दीपक' कविराय, नियम से कभी न भागें
बढ़े आयु, बल, बुद्धि, भोर से पहले जागें


सींचें चल मरुभूमि में, हरा भरा उद्यान
है सन्दर्भ विनाश का, करें नया निर्माण
करें नया निर्माण, सुमन रोपें बंजर में
मस्जिद में हो राम, रहीम रहें मन्दिर में
कह ‘दीपक' कविराय, चित्र कुछ ऐसा खींचें
सर्व धर्म समभाव, बढ़ाएँ, उपवन सींचें


छह दुश्मन घेरे खड़े, पथ कीने सब सील
जा न सके गंतव्य तक, ठोकी तन में कील
ठोकी तन में कील, उम्र भर तूने पाला
हो धन में मगरूर, जपी ना सत की माला
कह ‘दीपक' कविराय, कोर्ट में सम्मन तेरे
तेरे मन के मीत, खड़े छह दुश्मन घेरे


मातृदिवस पर यह खबर, ले आया अखबार
माँ को उसके पुत्र ने, दिया उसी दिन मार
दिया उसी दिन मार, बहू की बातें रूखी
माँगा मिला न अन्न, रही माँ दो दिन भूखी
भोजन देना दूर, मार दी लाठी कसकर
निकला पूत कपूत, मरी माँ मातृदिवस पर

१ दिसबर २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter