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अनिता ललित

जन्म- इलाहाबाद (उत्तर-प्रदेश) में
शिक्षा- परास्नातक (अंग्रेज़ी साहित्य)

कार्यक्षेत्र-
कविता, क्षणिका, हाइकु, ताँका, सेदोका, चोका, हाइबन, माहिया, आलेख, समीक्षा, कथा आदि।

प्रकाशित कृतियाँ-
काव्य-संग्रह 'बूँद-बूँद लम्हे', हाइकु-संग्रह 'चाँदनी की सीपियाँ'। इसके अतिरिक्त पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। 

संकलनों में-
प्रथम चोका-संग्रह 'उजास साथ रखना', आधी आबादी का आकाश',  'हिंदी हाइकु प्रकृति काव्य कोष', 'हाइकु-व्योम',
'हाइकु-काव्य शिल्प एवं अनुभूति' तथा 'कविता अनवरत' (खण्ड 3) में रचनाएँ प्रकाशित।

सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन

ईमेल- anita.atgrace@gmail.com

  माहिया


आँखों में है सावन
दिल ममता-आँगन
माँ तू कितनी पावन।


हर दुःख को सह जाती
उफ़ न कभी करती
माँ तो बस मुस्काती !


आँचल में हैं सारे
मुन्ने के सपने
क्या चन्दा, क्या तारे।


जिस घर माँ मुस्काती
ईश्वर की बाती
कण-कण नूर खिलाती।


माँ पहला आखर है
नींव बने घर की
माँ ऐसा पत्थर है।


सबको जीवन देती
सहती धूप कड़ी
अपने सपने पीती।


कैसा दुःख क्या चिंतन
दर्द सभी भागें
माँ तो हल्दी-चन्दन।


रिश्तों को वो सीती
छुपकर है रोती
माँ घुट-घुट कर जीती।


जीवन भर ना हारी
अब जब उम्र ढली
अपने बदलें पारी !

१०
अपने दिल में पाती
बेटी की धड़कन
माँ की प्यारी साथी।

११
माँ के भीगे नैना
जो ना पढ़ पाए
उसका क्या है जीना।

८ जून २०१५

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