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जहाँ पर मोगरा है
 

वहाँ ज़न्नत जहाँ पर मोगरा है
अभी इस राह से होकर गया है

हवा ही हमसफ़र जैसे हो उसकी
उसी का इश्क़ ख़ुशबू घोलता है

वो जो बचपन की ख़ुशबू है ज़हन में
नहीं वो और कोई मोगरा है

फ़लक़ पर चाँद का जलवा है तारी
जमीं पर मोगरा दिल में खिला है

मुहल्ले के वो नुक्कड़ पर लगा जो
बिना ही भेद ख़ुशबू बाँटता है

- संजू शब्दिता
२२ जून २०१५

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