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गुलमोहर के फूल हो गए

 
शहरों में
आ बसे महाशय
गुलमोहर के फूल हो गए
और पिताजी वहाँ गांव में
सूखे हुए बबूल हो गए

गुलमोहर का
ऊंचा कद है
आखों में ढेरों सपने हैं
मखमल में लिपटे बैठे जो
ये सुकुमार फूल अपने हैं

और वहाँ बूढ़े बबूल के
पत्ते सारे शूल हो गए

एप्रिल में
खिल उठे गुलमुहर
मुस्कानों की ये कतार हैं
पर बबूल बैसाख बवंडर
की, मुश्किल सह रहे मार हैं

यहाँ चमकते चेहरे कायम
और वहाँ सब धूल हो गए

- प्रदीप शुक्ल
१७ अप्रैल २०१८

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