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कुटज के साथ हो लें

 

चलो फिर इस कुटज के साथ हो लें
एक पल को
सुनो फिर इक सुगंधित वास हो लें
एक पल को

फुनगियों पर फिर खिलें उत्साह से हम
दोस्तो से फिर मिलें विश्वास से हम
फिर दिशाओं में उजाला बन के बिखरें
गन्धमादन को भरें फिर आस से हम
चलो सावन में भी मधुमास हो लें
एक पल को
सुनो वन प्रांत में उल्लास हो लें
एक पल को

फिर शिवालिक में घटाओं को बुहारें
हम सुबह की बारिशों के पग पखारें
वन पठारों को हरेपन से सजाएँ
हर कठिन पल को सरलता से उबारें
परीश्रम का मधुर अभ्यास होलें
एक पल को
चलो आनंदमय आभास हो लें
एक पल को

- पूर्णिमा वर्मन 
१ जुलाई २०१९

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