अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

जब कदम्ब का पेड़ देखता हूँ






 

द्वापर का इतिहास दिखाई देता है
जब कदम्ब का पेड़ देखता हूँ
कृष्ण कन्हैया पास दिखाई देता है
जब कदम्ब का पेड़ देखता हूँ

इस कदम्ब से जुड़ी हजारों स्मृतियां
गोवर्धन पर्वत गंगा यमुना नदियां
दूध दही माखन घी की मटकी वाली
बृज की गोकुल की वृन्दावन की गलियां
होता पावन रास दिखाई देता है
जब कदम्ब का पेड़ देखता हूँ

इसने देखी मैत्री कृष्ण सुदामा की
और शत्रुता देखी अपने मामा की
देखा है वात्सल्य यशोदा मैया का
प्रीति पावनी देखी राधा श्यामा की
ज्ञानी उद्धव दास दिखाई देता है
जब कदम्ब का पेड़ देखता हूँ

है सुन्दर वरदान वृक्ष यह प्रकृति का
देता है संदेश सदा यह जागृति का
यह कदम्ब है लेकिन केवल पेड़ नहीं
राजदूत भी है भारत की संस्कृति का
श्रृद्धा और विश्वास दिखाई देता है
जब कदम्ब का पेड़ देखता हूँ

--शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
१३ जुलाई २००९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter