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उपवन उपवन सिरस के
 

तिनका तिनका रूप है, किरण किरण सी पाँख
मौसम सकल निहार लो, तृप्त न हो्ती आँख

सुमन खिले जब सिरस के, रंगी बाग की देह
बरस रहा फव्वार सा, झिलमिल झिलमिल स्नेह

उपवन उपवन सिरस के, खिलते सुंदर फूल
छटा बिखेरें रूप की, मौसम के अनुकूल

तूलम तृण सी तूलिका, रंगो से रंगीन
कैसी कमसिन कल्पना, कुदरत के आधीन

शिरीष, उपवन, चाँदनी, मोहक त्रिरूप वृंद
तीनों जिस निशि संग हों, सुन्दरता निष्पंद

दस दिन धूप न सह सके, अमलतास के फूल
पर शिरीष हैं झूमते, गर्मी बारिश भूल

--ओंम प्रकाश नौटियाल  
     
१५ जून २०
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