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शीशम (दोहे)
 
प्रकृति सदा देती हमें, अति अनुपम उपहार।
मनुज भूल जाते सभी, उसके ये उपकार।।

शीशम जैसे वृक्ष हैं, तत्पर सदा सहाय।
घर फर्नीचर दे वही, औषध रोग उपाय।।

पत्र छाल जड़ हैं भरे, औषध के भंडार।
घोर भयानक रोग का, कर देते उपचार।।

अवसादित मन हो अगर, त्वचा उदर के रोग।
दाँत दर्द शीशम हरे, अद्भुत तेल प्रयोग ।।

धन्वंतरि सम हैं खड़े, वृक्ष हमारे पास।
निभे मित्रता सहज ही, रहे न कोइ उदास।।

रोपित शीशम वृक्ष हों, गृह आंगन नजदीक ।
छाया भी उपलब्ध हो, सुख आरोग्य प्रतीक।।

पर्यावरण विशुद्ध भी, करते वृक्ष अपार ।
शीशम तरु की श्रेष्ठता, मानें बारम्बार ।।

- ज्योतिर्मयी पंत
१ मई २०१९

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