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दें अपना आशीष
 
मैं शीशम का पेड़
मुझे भी दें अपना आशीष

जंगल म़े मंगल करने का
नव ब्रत लिए हुए हूँ
औषधियाँ अपने अंदर
शत प्रतिशत लिए हुए हूँ
मूल बाँध रखता माटी को
मनो जडे़ं फणीश

नहीं गंधवाही लेकिन हैं
गुच्छे दार प्रसून
बढ़ता प्यार साथ रहने से
बिना प्यार सब सून
इसीलिए तो मिला नाम यह
शीशम याने शीश

- पं. गिरिमोहन गुरु
१ मई २०१९

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