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मैं भुट्टे की बाली






 

सपनों का खेत तू
मैं भुट्टे की बाली
दुशाला ओढ़ खड़ी, आली रे आली

हरी हरी चूनर मोरी सफ़ेद है घाघरा
पिया का नेह बरसे जैसे ये बादरा
मिलने की आस टूटी
पहरे पर माली

मोतियन शृंगार किये सुनहरी काया
तुहिन में निहार रही अपनी ही छाया
ठगुआन से काग आये
घायल है डाली

- रचना श्रीवास्तव
१ सितंबर २०२०

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