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गाँव में अलाव
जाड़े की कविताओं को संकलन

गाँव में अलाव संकलन

क्षणिकाएँ

 दूर तक

दूर तक
कोहरे जड़े थे पेड़, रस्ते
और हम तुम
झर रही थी ओस मद्धम
कुछ अलावों में
कहीं सुगबुग बची थी।

- पूर्णिमा वर्मन
 

 जाड़ों में

लोग बहुत पास आ गए हैं
पेड़ दूर हटते हुए
कुहासे में खो गए हैं
और पंछी (जो ऋत्विक हैं)
चुप लगा गए हैं

- अज्ञेय

 

 तनहाई की रात

सर्द! तन्हाई की रात
और कोई
देर तक चलता रहा
यादों की बुक्कल ओढ़े!

- दीप्ति नवल

अपनापन

अपनापन
जाने कहाँ गुम हुआ
इस शीत में
बर्फ की तरह जम गया
इन्सान के लहू में

- आस्था

सर्द चेहरे

सर्द लम्हों से
सर्द चेहरे !
सर्द जज़्बात,
सर्द मुलाकात...
कोई अलाओ जलाओ भाई !

- रश्मि प्रभा

 
  

 

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