अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

गंगा गीत





 


आस्था विश्वास की सरिता है गंगा
पावनी अहसास की सरिता है गंगा
तृप्ति की है स्रोत सदियों से यही
मोक्षकामी प्यास की सरिता है गंगा

हर लहर में है समायी ज़िन्दगी
हर लहर करना सिखाती बन्दगी
यह नहीं है सिर्फ इक बहती नदी
उत्सवी उल्लास की सरिता है गंगा

एकता के गान का अनुनाद है
यह हृदय का प्रकृति से सम्वाद है
जल रहे निर्मल सदा यह कामना
इस धरा के श्वास की सरिता है गंगा

यह कला, साहित्य, संस्कृति दायिनी
सृजन के सोपान की अनुगामिनी
हर बूंद में इसके समायी ऊर्जा
अमरता-आभास की सरिता है गंगा

- डॉ.(सुश्री) शरद सिंह

२८ मई २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter