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होली है

 

पहली होली

पहली होली
तो हो, ली, होकर हो गई अतीत
इस होली का लक्ष्य बना,
बन जायें सच्चे मीत

चारों ओर
खड़ीं हुई अवरोधों की दीवार
दिल मैले हैं छोटी छोटी बातों पर तकरार
सम्बन्धों में वर्षो से बढ़ती जा रही दरार
हम समझे बैठे थे जि‍सको जीत नहीं थी हार
इस होली में देखें, घायल हो न सके अब प्रीत
इस होली का लक्ष्य बना,
बन जायें सच्चे मीत

दोस्त-दोस्त
ही रहें स्वार्थपरता उसमें ना मि‍ले
साफ-साफ कह डालें हों ना साँठ-गाँठ ना गिले
हृदयों में ना मैल पले बस प्यार ही प्यार पले
सूरज अरमानों का बढ़ खुदगरजी में ना ढले
मिलजुल झूमें बस ऐसा, बन जाय मधुर संगीत
इस होली का लक्ष्यस बना,
बन जायें सच्चेर मीत

प्यार की
ठंडाई में घुले संकल्पों की सौगात
कौन पराया अपना जाचें हम सबकी औकात
छँट जाये सब धुन्ध बुलायें खुशियों की बारात
सभी रहें चैन और अमन से आए ना आपात
आवश्यकता हो जितनी, सब पायें उष्मा-सीत
इस होली का लक्ष्य बना,
बन जायें सच्चे मीत

भूल दुश्मानी
कर लें यारी माँ भारत के बेटो
मन के कमज़र्फों से बोलो बिस्तर अभी समेटो
भ्रष्टामचार-ओ-जुर्म में मासूमों को नहीं लपेटो
है मौका माकूल आत्म चिन्तन का व्यर्थ न लेटो
अबीर गुलाल मि‍टायें, घर-घर नीची ऊँची भीत
इस होली का लक्ष्यम बना,
बन जायें सच्चेी मीत

रघुनाथ मिश्र
५ मार्च २०१२

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