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रंगों का कोलाज

'रंग' मिले
तो ऐसे
जैसे कोई गाँव
या शहर बस गया हो रंगीन!

'रंग' खिलखिलाये
तो ऐसे
जैसे अँधेरी रात में से
अचानक से
सूरज निकल आया हो
प्रकाश लेकर अद्भुत!

'रंग' नाचे
तो ऐसे
जैसे पूरी धरती थिरक रही हो
वसन्त के साथ मादक!

'रंग' उभरे
तो ऐसे
जैसे उनका 'कोलाज'
बीज बन गया हो
अगली फसल के लिए विकास!

'रंग' मिले
तो ऐसे
जैसे वे कभी अलग न रहे हों
लड़े न हों
भूल गये हों इतिहास!

- भोलानाथ कुशवाहा
१५ मार्च २०१६

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