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रंगों ने फूलों में

रंगों ने फूलों में
ऐसा क्या घोल दिया
मौसम ने अलसाये
अंगों को खोल दिया

वासंती
कलियों की
मादक सी अँगड़ाई
सुधियों की चूनर को
रंगों से भर लाई

रह-रह मन भटक रहा
संयम की गलियों में
पुरवा के झोंकों ने
आकर कुछ बोल दिया

हरियाला
आमन्त्रण
मदहोशी फेंक गया
भँवरे इठलाये हैं
पाकर हर रंग नया

कलियों में होड़ लगी
पंखुरियाँ खोल हँसें
मधुमासी साँसों को
ऋतु ने बेमोल दिया

- जगदीश पंकज
१५ मार्च २०१६

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