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आओ हम भी रंग लगाएँ

आओ हम भी रंग लगाएँ
रंगों के त्यौहार में
पल में सदियों को जी लें हम
रंगों की बौछार में

साँझ उतर आई धरती पर
सुरमे-सी शृंगार में
नभ से छिटक-छिटक कर लाली
छाई हर घर द्वार में
खो जाएँ हम तुम संग मिलकर
रंगों के अभिसार में

इन्द्रधनुष के सतरंगों को
लेकर अपने साथ में
शहनाई दरवाजे गूँजी
नूपुर ध्वनि सौगात में
आज भिगो दें तन-मन सारा
रूप-रंग रस प्यार में

अब भी आते निशिदिन कान्हा
बृज में अपने रास में
मुरली की धुन सुनकर राधा
नाचा करती पास में
शुक्ल-कृष्ण रंग में मिल जाए
बहे प्रेम की धार में

- सुरेन्द्र कुमार शर्मा
१ मार्च २०२०

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