अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

शक्ति की देवी

 

 

 

१.
शक्ति की देवी
माता का नव रूप
कल्याणकारी
२.
माता की दृष्टि
दया भाव से पूर्ण
रक्षित सृष्टि
३.
मंगल पर्व
पावन नवरात्र
मातृ पूजन
४.
भक्तवत्सला
भगवती चण्डिका
मेरी आराध्या
५.
विनीत भाव
शुद्ध अंतःकरण
माँ की पसन्द
६.
प्रचंड युद्ध
सरस्वती का शौर्य
शुम्भ संहार
७.
भारतवर्ष
दुर्गा रूप की पूजा
माता की पूजा
८.
माँ, तू ही तो है
अम्बिका बागेश्वरी
संसार मेरा

- ऋता शेखर 'मधु'
२९ सितंबर २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter