अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

वक्त फिर से आ गया

 

 

 

वक्त फिर से आ गया है शक्ति की आराधना का
राष्ट्रहित की प्रबल होती जा रही शुभ कामना का

मातृशक्ति अखिल जगत में पूजनीया तब बनेगी
जब जगेगा हर हृदय में भाव सच्ची साधना का

छोड़ दें हम जिन्दगी में स्वार्थ की सब कामनाएँ
भूल कर हमसे न कोई कार्य हो दुर्भावना का

शक्तिशाली हम बनेंगे राम का आदर्श लेकर
स्वप्न देखें एक समरस राष्ट्र की नव स्थापना का

दूर करना है तमस हमको दुखी हर जिन्दगी से
हर हृदय में जगमगाए दीप सेवा भावना का

अंकुरण नव शक्ति का नव कोपलों में हो रहा है
उग रहा सूरज नया है शुभ समय माँ वंदना का

हर नगर हर गाँव में नवरात्रि का उत्सव मनाने
जग रहा उत्साह श्रद्धा भाव ले नव चेतना का

- सुरेन्द्र्पाल वैद्य  
१५ अक्तूबर २०१५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter