अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

मेरा भारत
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन

 

इस भूमि का वंदन करें

सप्तधाराएँ जिसे पावन करें
हम सदा इस भूमि का वन्दन करें !

कर्म ही संकल्प
श्रम ही धर्म है
सब सुखी हों
लोकमंगल मर्म है
मन-वचन इस रीत का पालन करें !

नित्य जो रचते
नए रणक्षेत्र हैं
उन सभी के लिए
शिव के नेत्र हैं
हम लपट को भाल का चन्दन करें !

रत्न हम धन-
धान्य के भंडार हम
अब नहीं मजबूर
और लाचार हम
चाँद - तारों में ध्वजारोहण करें !

- अश्विनी कुमार विष्णु
१३ अगस्त २०१२


इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter