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जनतंत्र हमारा 
 जनतंत्र को समर्पित कविताओं का संकलन 

 
 
साथ अपने देश के
 

साथ अपने देश के आगे निकलना है हमें
विश्व गुरु का श्रेष्ठ पद फिर प्राप्त करना है हमें

कालक्रम में एकता के भाव जो खंडित हुए
जोड़कर सबके दिलों को एक बनना है हमें

स्वच्छता अभियान से अब हम निखारें देश को
देश के हर नागरिक को स्वस्थ रखना है हमें

सांस्कृतिक पहचान भारत की बहुत गौरवमयी
आज उस पहचान के अनुरूप ढलना है हमें

देश की है राष्ट्रभाषा प्रिय हमें हिन्दी बहुत
कार्य हर हिंदी में ही करके निखरना है हमें

आचरण अपना सुधारें और सेवा भाव हो
हर दुखी इंसान ले साथ चलना है हमें

देश की खातिर जगायें भावना बलिदान की
हर समय हर हाल में तैयार रहना है हमें

- सुरेन्द्र पाल वैद्य 
१७ अगस्त २०१५


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