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कृपया अब मत आना
     

 





 

 


 




 


शब्द हुए सब व्यर्थ हे! जोगी अर्थ हुए बचकाना
लेकर ब्रह्म ज्ञान को कान्हा
कृपया अब मत आना

यमुना तट पर रास रचाया
वंशी सुर से मन महकाया
दिया गूढ़ सन्देश प्रेम का
पर क्या जग कुछ समझ भी पाया
मधुर प्रीत का ताना बाना ?
गाने प्रेम तराना
कृपया अब मत आना

कूट नीति, चालें चतुराई
सीखीं तुमसे कृष्ण कन्हाई
पर मर्यादित अभियोजन तक
दृष्टि किसी की पहुँच न पायी
उस्तादी की बेल कोई भी
देखो मत उपजाना
करके कोई बहाना
कृपया अब मत आना

उपदेशक नुक्कड़ नुक्कड़ हैं
कर्म घोटालों के अंधड़ हैं
खूब गाल बज रहे हर तरफ
पाप पुण्य सब में कंकड़ है
बहरे अंधे मस्तिष्को को
अब न कोई उपदेश सुनाना
वृथा न समय गँवाना
कृपया अब मत आना

-सीमा अग्रवाल
२६ अगस्त २०१३

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