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नव वर्ष अभिनंदन
2007

     इस साल में

 

ऐपन हो हर द्वार पर, चौखट पर हो मौर
चौरे पर तुलसी पुजैं, आँगन पुजती गौर

हल्दी शुभ माथा छुए, दूब धान ले हाथ
सगुन मनाए देहरी, आशिष फल दे हाथ

माली यह संस्कार दें, बाँटें फूल सुगंध
सबकी लाज बची रहे, बाँधें जो अनुबंध

बच्चे फिर बाँटें यहाँ, मातु-पिता का भार
सुख की साँसें ले सकें, दें ऐसा व्यवहार

पद रज बूढ़े बड़ों की, है तीरथ का फूल
धूल समझ जो फेंकते, मानें अपनी भूल

हर प्राणी जिनके लिए, है ईश्वर का रूप
जिनके 'स्व' में 'विश्व' वे हैं जाड़े की धूप

ऐसी चलें न आँधियाँ उड़े न कोमल फूल
जो लहरों को बाँधते बचे रह सकें कूल

डॉ. विद्याबिंदु सिंह   

 

हृदयोद्गार

नूतन वर्ष मुदित मन कर दे
हर्षित हो परिवार तुम्हारा
प्रीत पले आँगन में ऐसी
चमक उठे सौभाग्य तुम्हारा
सुख सौरभ के सुमन खिलें
नित रंगमयी ले गंध सुहानी
फूलें फलें रहें प्रफुल्लित
सदन तुम्हारे के सब प्राणी

अतुल शर्मा



प्रार्थना

हे ईश्वर !
मारे घर न टूटे
पड़ोसी के घर न जलें
सपने जो पलें
संग-संग चलें
पुरवाई पर
पछुवा हवाएँ
हावी न हों
हमें अपनी ज़मीन
पर आस्था विश्वास
बना रहे।
वृद्ध शिखरों के चरणों में
नत होने का
गौरव बोध बना रहे।

डॉ. विद्याबिंदु सिंह

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