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     .सैर सातवें अंबर की

 
यह सैर सातवें अम्बर की
तुम डोर मेरी थामे रखना
मैं झूमूँगी इतराऊँगी
तुम माँझे को संयमित रखना

मैं कमसिन, सुंदर, प्रेमपगी
और बड़े खिलाड़ी राहों में
है दूर देश का लक्ष्य मेरा
पर मेरी खोज-खबर रखना

कट गिरने का अंदेशा बहुत
मिल गले, गिरा देते हैं वे
पर पवन का उड़नखटोला ले
ऊँचाइयों का है रस चखना

यह खेल तुम्हारा मेरा है
माँझे के करतब, चतुर ढँग,
ऊँचाई को छूते छूते
मदमस्त नृत्य मेरा दिखना

गिरना अपरिचित स्थलों पर
भय, वेदना, संत्रास है,
पर मिटने का यह भय सनातन
उठने में बाधा कब बनता

- मधु संधु
१ जनवरी २०२३

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