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     .     पतंग

 
बँधी नेह की डोरी से यह
इतराती बलखाती
पंख पसारे नील गगन में
फर-फर उड़ती जाती

उम्मीदों का अम्बर छूती
साहस औ विश्वास लिये
रंग-बिरंगी तितली जैसी
फिरती है उल्लास लिये
लड़ती पेंच लड़ाकर नभ में
करतब गजब दिखाती

उछले-कूद छज्जे-छज्जे
प्रेम जाल फैलाये
झूम-झूम कर सभी दिशा में
सर-सर शोर मचाये
सतरंगी पोशाक पहनकर
अंबर में इतराती

पीछे -पीछे दौड़ लगाती
मस्तानों की टोली
अधरों पर मुस्कान सजाकर
संग जगत के हो ली
रंग भरे जीवन में अनुपम
गीत प्रीत के गाती

- पुष्प लता शर्मा
१ जनवरी २०२३

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