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       नन्हीं पतंगें

 
बाँह में आकाश भरने
उड़ चलीं नन्हीं पतंगें

बस हवा को साथ लेकर
कोहरे को मात देकर
एक धागे के सहारे
पंख आशा के पसारे
शक्ति का अनुमान करने
उड़ चलीं नन्हीं पतंगें

बादलों में घर बनाकर
द्वार किरणों से सजाकर
चाँदनी की आसनी पर
दुधमुँहे सपने सुलाकर
ज्योतिमठ में दीप धरने
उड़ चलीं नन्हीं पतंगें

जिन्दगी सचमुच अधर है
एक अनजानी डगर है
डोर साँसों की न टूटे
साथ अपनों का न छूटे
मृत्यु का नवरूप वरने
उड़ चलीं नन्हीं पतंगें

- उमा प्रसाद लोधी
१ जनवरी २०२३

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