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उत्तर दिशि सूरज चले
 
उत्तर दिशि सूरज चले, मकर राशि के पास
मौसम शीत विदा हुआ, जग में जगा उजास
जग में जगा उजास, धुंध ने रवि को छोड़ा
हुई गुनगुनी धूप, अलावों से मुँह मोड़ा
लोग मनाते पर्व, लोहड़ी जलती है निशि
माघी हो संक्रांत, चले सूरज उत्तर दिशि।

माह जनवरी मध्य में, मनता अद्भुत पर्व
भारत के हर क्षेत्र को, त्योहारों का गर्व
त्योहारों का गर्व, नाम पहचान अलग हो
विविध बनें पकवान, रंग औ' स्वाद विविध हो
ख़ुशी भाव है एक, गीत संगीत कथ्य में
मिले प्यार उपहार, माह जनवरी मध्य में।

कहीं भी मने वर्ष नव, शुभदिन का आगाज़
पोंगल माघी या बिहू, खुशियों का है साज़
खुशियों का है साज, गगन में उड़ें पतंगें
कुमकुम हल्दी हाथ, बाँट आशीष उमंगें
तिल-गुड़, भोग, प्रसाद, सूर्य को चढ़े सामने
विगत शीत के कष्ट, वर्ष नव, कहीं भी मने।

पूजा अर्पण स्नान को, तीरथ भीड़ अपार
दान पुण्य औ हवन का, घर बाहर व्यवहार
घर बाहर व्यवहार, भोग तिल गुड़ के लगते
आँगन भरे सुगंध, विविध व्यंजन जब बनते
पूजित पक्षी काक, पितर हित तिल का तर्पण
करते खिचड़ी दान, सूर्य की पूजा, अर्पण।

- ज्योतिर्मयी पंत 
१५ जनवरी २०१७

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