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आज धरती आसमां में
 
आज धरती आसमां में
दिख रही रौनक बड़ी

झूमतीं गातीं पतंगें
नभ धरा की खोर में
खिलखिलातीं, खेलतीं
खुशियाँ हृदय की कोर में

देहरी तोरण पताके
बँट रही है रेवड़ी

मन उमंगो से भरे
मधुरा करे सत्कार जब
प्रीत बसती है दिलों में
उर करे मनुहार जब

लग रहा मीठी महक
उल्लास के पीछे पड़ी

नभमहल से नित्य ही
अरुणा निहारे भूमि को
या कहें परिधान देती
सिंधु की सब ऊर्मि को

रश्मियाँ बिखरीं धरा पर
रत्न-सी माथे जड़ीं

सौर मंडल के नियम में
हो रहा बदलाव है
अब दिवाकर के कदम में
मंद सा ठहराव है

ॐ हर गंगे! कहें सब
पुण्य की आई घड़ी।

- आशा देशमुख
१५ जनवरी २०१७

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