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चलीं पतंगें
 
देखो! ये फिर चलीं पतंगें
वापस आये उड़ने के दिन।

नील गगन पर दृष्टि जमाये
आँखों में कुछ स्वप्न सजाये
उड़ती ही जाती हैं पल-पल
पंखों पर आकाश उठाये

यही दुआ देते हैं इनको
कभी न आयें मुड़ने के दिन।

जिन हाथों में सौंपी डोरी,
क्या वो तेरे अपने हैं री?
रंग-बिरंगे रंगों को ले
रँग डाली है चूनर कोरी

कितने मधुर, सजीले, प्यारे
नेह डोर से जुड़ने के दिन।

- उर्मिला "उर्मि"
१५ जनवरी २०१७

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