अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

दीप धरो
वर्ष २०१२ का दीपावली संकलन

1
जाने क्या लिख गई अमावस



 

हल्दी भरे हाथ की थापें मार कर
जाने क्या लिख गई अमावस
लिपी-पुती दीवार पर

तोड़ गई मज़दूरिन मकड़ी का
झीना छींका
आले में रख गई सुनहरी
झुमका चमकीला
गेंदे की मेहराब सजा कर द्वार पर
जाने क्या लिख गई अमावस
लिपी-पुती दीवार पर

आँगन में
कालीन केसरी बिछा गई पगली
चौकी पर
दो-तीन मूर्तियाँ रख कर भली-भली
एकदन्त पर खिल-बताशे वार कर
जाने क्या लिख गई अमावस
लिपी-पुती दीवार पर

--रमेश रंजक
१२ नवंबर २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter