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दीवाली के नाम पर

   



 

दीवाली के नाम पर,... बाजारों का खेल !
देखोगे जिस ओर भी, मिल जायेगा सेल !!

सर पे है दीपावली ,...सजे हुवे बाज़ार !
बच्चों की फरमाइशें, खीसा है लाचार!!

छाती जले गरीब की, .थर थर कांपे हाथ !
महंगा महंगा तेल जब ,जले दीप के साथ !!

महंगाई ने कर दिये, आसमान पर भाव !
मन के मन में रह गये , दीवाली के चाव !!

नहीं मुकम्मल हो रहे, बच्चों के सब ख्वाब !
फूलझड़ी के दाम भी ,सस्ते नहीं जनाब !!

रमेश शर्मा
२८ अक्तूबर २०१३

   

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