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जगमगाते दीप चारों ओर

   



 

बाँट कर खुशियाँ जहाँ में दिल मसीहा हो गया।
आज लगता है मुझे मन में उजाला हो गया।

जगमगाते दीप चारों ओर खुशियों से भरे
प्रीत की ख़ुश्बू मिली त्यौहार मीठा हो गया।

नीड़ में आये हैं पाखी दूर से उड़ते हुए
धुन्ध शिकवों की हटी मिलना मिलाना हो गया।

आसमां के चाँद तारे ज्यों जमीं पे आ गये
रात में क्या आज धरती पर सवेरा हो गया।

ओस की बूँदें चमकतीं फूल के दामन पे यों
मोतियों का पत्तियों पर एक मेला हो गया।

झूमती आईं बहारें खिल गईं कलियाँ पुलक
इन हवाओं में भी ख़ुश्बू का ठिकाना हो गया।

हारती है जंग में नफ़रत सदा ही प्यार से
जिंदगी से मिल गले हर पल सुहाना हो गया।

- अनिता मण्डा
१५ अक्तूबर २०१६
   

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