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आती दीवाली

   



 

दिवाली की सजावट देखने जो घर से निकला है
लगे फौजी है वो, रण भूमि में बंकर से निकला है

कहीं रॉकेट का हमला, कहीं बम के धमाके हैं
कहीं पर कान फोड़ू शोर भी अम्बर से निकला है

सडक पर घूमती चकरी से जो चिंगारियाँ निकलें
जो इनसे बचके निकला आग के चक्कर से निकला है

सभी सज धज के आतुर हैं बहुत माँ लक्ष्मी पूजन को
सभी के मन मेँ श्रद्धा भाव ये अन्दर से निकला है

उजाला तुम करो लेकिन स्वदेसी माल अपनाओ
यही संकल्प चारों ओर अब हर दर से निकला है

लगे हैं सब कि इस त्योहार पर झट घर पहुँच जायें
कोई मुम्बई से निकला है कोई अलवर से निकला है

- शरद तैलंग 
१५ अक्तूबर २०१६
   

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