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दीपावालियाँ हैं सजी

   



 

दीपावलियाँ हैं सजी , घोर अमा की रात
उतरे नभ से जिस तरह, तारों की बारात

अंधकार दहशत भरा, छाया आधी रात
देशभक्ति के दीप ने, दी वैरी को मात

दीपक से दीपक जलें, भू पे करें उजास
नवल उजाला जग भरे, लाये सुख की आस

मन ड्योढ़ी दीपक जले, आए साजन याद
कैसे हो दीपावली, कहाँ करें फरियाद

ले आई दीपावली, खुशियों की बरसात
झूम रही खुशियों भरी, आज अँधेरी रात

समता के दीपक जला, भेद-भाव दें मेट
भारत माता को यही, दीवाली की भेंट

सत्य, न्याय, श्रम, हो जहाँ लक्ष्मी करें निवास
दीपावलि कहती सदा, उद्यम में है वास

दिल का दीपक ले जला, महके मन मकरंद
रस्म-रवायत से सजे, दीवाली के छंद

चाँद न आया आज क्यों, दीवाली की रात
दीयों से डर के छिपा, चाँदनिया के साथ

- मंजु गुप्ता
१५ अक्तूबर २०१६
   

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