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      रौशनी के वास्ते


रोशनी के वास्ते ख़ुद ही जली है
फुलझड़ी की आँख में भी कुछ नमी है

खूब चिंगारी भरी हैं इसके अंदर
दीपकों में इसलिए अब खलबली है

अब उजाला रोशनी से हर जगह हो
एक अर्ज़ी फुलझड़ी ने भेज दी है

है बला की खूब सूरत फुलझड़ी! तू
दीपकों ने यह मुनादी आज की है

लाख फूटें रात भर अनगिन पटाखे
फुलझड़ी आखिर में आखिर फुलझड़ी है

खील, मेवा, फूल से भर कर हथेली
इक पुजारन द्वार पर माँ के खड़ी है

लक्ष्मी माँ बन के पाहुन घर में आयें
द्वार पर ‘आभा’ ने दीवाली लिखी है

- आभा सक्सेना ‘दूनवी’
१ अक्टूबर २०२२

       

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