अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

       

      फुलझड़ियों के नृत्य


जगमग-डगमग झालरें, दीपों का संसार।
फुलझड़ियों के नृत्य का, जता रहे आभार॥

लक्ष्मी-गणेश अवतरित, फैला भक्ति प्रकाश।
दीपोत्सव की फुलझड़ी, नमन करे रख आस॥

त्रेतायुग को जी रही, दीपों की हर सेज।
रामनाम जपता सदा, फुलझड़ियों का तेज॥

कंदीलों के नाम है, फुलझड़ियों की धूम।
देती है शुभकामना, नभ-आँगन में घूम॥

फुलझड़ियों की मित्रता, रखती हृदय विशाल।
जोश-होश-किलकारियाँ, सब हों मालामाल॥

प्रेम फुलझड़ी से करे, दीवाली की रात।
करती है मिष्टान्न ले, जाग-जाग कर बात॥

- कुमार गौरव अजीतेन्दु
१ अक्टूबर २०२२

       

अंजुमन उपहार काव्य चर्चा काव्य संगम किशोर कोना गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे रचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है